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अधूरी परछाइयाँ

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अधूरी परछाइयाँ

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"अधूरी परछाइयाँ" एक ऐसा   उपन्यास है, जिसमें रहस्यों की गहरी परतें हैं और हर मोड़ पर रोमांच और सस्पेंस पाठकों को अपनी गिरफ्त में रखता है। कहानी में गहरे रहस्य, छल, धोखे, और कातिलाना साज़िशों का ऐसा खेल चलता है, और जहाँ हर चरित्र के पीछे एक गहरा छिपा हुआ सच है।

"अधूरी परछाइयाँ" – सच्चाई की एक रोमांचक यात्रा!

जब रिश्तों पर साजिश का साया हो और सच्चाई अंधेरों में छुपी हो, तो क्या आप उस सच का सामना कर पाएंगे?

यह कहानी है अर्पण की,
एक युवा वकील, जो न्याय और सच्चाई के लिए अपने जीवन की सबसे कठिन लड़ाई लड़ता है। विशाल मेहता, एक प्रभावशाली बिजनेसमैन, और उसका रहस्यमयी साम्राज्य—एक ऐसा मामला, जिसने न केवल अर्पण के पेशेवर जीवन को चुनौती दी, बल्कि उसके विश्वास, रिश्तों और सिद्धांतों को भी हिला दिया।

इस कहानी में क्या है खास?

  • पिता द्वारा अपने बेटे के अपहरण और हत्या की चौंका देने वाली साजिश।
  • गुरु-शिष्य के रिश्ते का वह पहलू, जो नैतिकता और दोस्ती के बीच उलझा है।
  • अर्पण की खोज—जो उसे साजिशों, झूठ और विश्वासघात के जाल में फंसा देती है।
  • सच्चाई और न्याय के लिए उठाए गए साहसिक कदम।

 कहानी का सवाल:
क्या अर्पण उस सच को उजागर कर पाएगा, जो उसके अपने रिश्तों को खत्म कर सकता है?
क्या विशाल मेहता की सच्चाई उसे बर्बाद कर देगी, या वह फिर से अपना साम्राज्य बचा लेगा?

"अधूरी परछाइयाँ " एक ऐसी किताब है जो आपको हर पन्ने पर सोचने, रोने और रोमांचित होने पर मजबूर कर देगी। यह सिर्फ एक केस की कहानी नहीं, बल्कि सच्चाई की उस लड़ाई की गाथा है, जो हमें अंदर से झकझोर कर रख देती है।


"हर परछाई की एक कहानी होती है। जानिए ' अधूरी परछाइयाँ ' में।


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Pages
62
Size
612 KB
Length
59 pages
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